अमिताभ सिन्हा
उत्तर प्रदेश-बिजली मज़दूर संगठन के प्रांतीय महामंत्री सुहेल आबिद ने आपात कालीन ऑनलाइन बैठक का आह्वान किया। जिसमें उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा नगर प्रति कर भत्ता, सचिवालय भत्ता सहित जिन 6 भत्तों को अप्रैल 2020 से मार्च 2021तक स्थगित का निर्णय लिया था उसपर खेद व्यक्त किया साथ ही इस विषय पर चिंता जताई कि कुछ दिनों पहले समाचार माध्यमों से पता चला कि बिना बहस के बाय सर्कुलेशन मुख्यमंत्री ने इन सभी 6 भत्तों को समाप्त करने जैसा मज़दूर विरोधी निर्णय भी ले लिया है।
उन्होंने आगे कहा कि अभी पिछले सप्ताह ही उ0प्र0 सरकार ने कई प्रमुख श्रम कानूनों को भी 3 साल के लिए निलंबित कर दिया जो मज़दूरों के लिए एक कुठाराघात जैसा साबित हुआ था और इससे वे उबर भी न पाए के इन भत्तो को समाप्त करने वाला काला कानून बना कर मज़दूरों के पेट पर एक और प्रहार किया है। इस समय सभी कर्मचारी कोविड 19से लड़ रहै है। मुख्यतः बिजलीकर्मचारी जो कि आज के आधुनिक व्यावस्था कि धुरी है। साथ ही डाक्टर, नर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी,निकाय कर्मी, पुलिस आदि अपनी जान जोखिम में डालकर नागरिकों कि सेवा कर रहा है। रोज कोई न कोई आदेश निकल रहे है उसमे सभी विभागों के कर्मचारियों का हो वित्त योगदान रहता है। यहाँ तक कि अब आने पूरे वित्तीय वर्ष में प्रति माह, एक दिन का वेतन सरकारी कर्मचारी कटवाएगा जिससे निश्चित रूप से राजस्व की बड़ी भरपायी होगी। किसी भी प्राइवेट संस्था ने जन सेवा के लिए जिंदगी दाव पर नहीं लगाई है और सरकार इन्हीं कर्मचारियों पर डंडे चला रही है। माननीय वित्त मंत्री जी बयान दिया है कि 6 ठे वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार ही भत्ते ख़तम किए गए है। जबकि पिछले दो दशकों में दो वेतन समितियों की संस्तुतियों पर ही इन सुविधाओं को प्रदेश सरकार ने लागू किया था फिर इनको अचानक ये कैसे बन्द कर सकती है ? अतिरिक्त महामंत्री अमिताभ सिन्हा ने बताया कि केंद्रीय वेतन आयोग ने cca के स्थान पर ट्रांसपोर्ट भत्ता की संस्तुति की थी क्योंकि cca केवल बड़े नगरो ..1 लाख से ऊपर की आबादी वाले.. में ही दिया जा रहा था। ट्रांसपोर्ट भत्ता फील्ड सहित सभी कर्मचारियों को दिया जाना था परंतु प्रदेश सरकार कर्मचारियों के लाख कहने पर भी ट्रांसपोर्ट भत्ता नहीं दिया गया। cca का विस्तार सभी जिलों में तथा अनेक नगर पालिका क्षेत्र में भी कर तो दिया गया परंतु धनराशि कम ही थी। दरअसल सरकार ने ट्रांसपोर्ट भत्ते से बचने का यह मार्ग चुना। वही दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने भत्तो में कटौती से इनकार तो किया है मगर साथ प्रत्येक सांसदों को प्रतिमाह मिलने वालों भत्तों में 3 लाख 20 हज़ार की बढ़ोत्तरी कर दी है। प्रान्तीय महामंत्री सुहेल आबिद ने कहा कि वर्तमान सरकार संगठित व असंगठित क्षेत्रों के मज़दूरों को बंधुवा मज़दूर बनाने पर तुली हुई है। इसलिए उ0प्र0 बिजली मज़दूर संगठन निश्चित रूप से सभी मज़दूरो को न्याय दिलाने के लिए एक आंदोलन छेड़ेगा और ज़्यादा से मज़दूरों को अपने साथ जोड़कर उन्हें न्याय दिलाएगा। इसके लिए यही संगठन को न्यायालय भी जाना पड़े तो जाएगा क्योंकि सरकार ने आई0एल0ओ0 कन्वेंशन 87, 89 व अंतरराष्ट्रीय स्वीकृत आठ घंटे के कार्यदिवस के मानकों का उल्लंघन किया है। उन्होंने आगे कहा कि आज देश मे 70 फीसदी से ज़्यादा मज़दूर और किसान है जिनको विकासदाता व अन्नदाता कहा जाता है लेकिन सबसे बुरी हालत में आज वही है इसलिए सरकार को चाहिए कि जो प्रवासी मज़दूर काम छोड़ कर अपने अपने गांव पहुंच रहे उनकी खाने पीने और रोजगार की व्यवस्था तुरंत करे। केंद्रीय संगठन मंत्री शरदेंदु सागर शर्मा ने कहा कि चूंकि असंगठित क्षेत्र के मज़दूर भी हमारे भी है इसलिए उ0प्र0 बिजली मज़दूर संगठन एक टास्क फोर्स बना कर इन असंगठित मज़दूरों की मदद करेगा। जिसका समर्थन पूर्वान्चल से मदन लाल श्रीवास्तव ने किया और कहा कि बनारस में वो इस काम को जी जान से आगे बढ़ाएंगे। पश्चिमांचल के अध्यक्ष शादाब अफ़ज़ल ने बिजनौर से कहा आज समय है गांधी जी की बात को अमल में लाने की कि देश की 95 फीसदी संपत्ति 5 फीसदी लोगो के हाथ मे न रहकर सभी मे बराबरी से बटे। आज की ऑनलाइन बैठक में दक्षिणाचल से दुर्विजय सिंह ने, अनपरा परियोजना से रोशन अली ने, ओबरा परियोजना से उमेश कुमार ने, हरदुआगंज परियोजना से रामगोपाल यादव ने तो वहीँ मध्यांचल से प्रदीप कुमार वर्मा, जुगल मिस्र, वैभव अस्थाना, संजीव पासवान, गुफरान वारसी, सुमित श्रीवास्तव, अभिषेक दास, फ़िज़ाउद्दीन, जिलाध्यक्ष दीप सिंह, जिला सचिव नितिन शुक्ला, परवेज़ मिर्ज़ा, मोहित निगम, मुन्ना लाल, वीरू, अजय कन्नौजिया आदि पदाधिकारियों ने अपने अपने घरों पे रह कर बैठक में हिस्सा लिया व संगठित व असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को न्याय दिलाने के लिए जी जान से प्रयास करने का काम करने का संकल्प लिया।
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