आधी आबादी को पूरा न्याय दिलाने में प्रदेश सरकार फेल -उर्वशी शर्मा
लखनऊ। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आधी आबादी यानि कि देश की महिलाओं को पूरा न्याय दिलाने के लिए चाहें जितने प्रयास और बातें कर लें लेकिन आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रान्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे की आधी आबादी को पूरा न्याय दिलाने में फेल हो रहे हैं। राजधानी लखनऊ की नामचीन और तेजतर्रार समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने अपनी एक आरटीआई पर सूबे के महिला कल्याण निदेशालय की उपनिदेशक और जनसूचना अधिकारी प्रेमवती द्वारा दिए गए एक जवाब के आधार पर योगी सरकार पर महिलाओं की समस्याओं को हल करने के मुद्दों पर संवेदनहीन होने का गंभीर आरोप लगाया है।
दरअसल एक्टिविस्ट उर्वशी ने बीते साल की 11 फरवरी को उत्तर प्रदेश के महिला एवं बाल कल्याण विभाग में एक आरटीआई दायर करके भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटरों का सार्वभौमिकरण ( Universalization ) करने संबंधी स्कीम को उत्तर प्रदेश में लागू किये जाने के वृहद् जनहित के मुद्दे पर 10 बिन्दुओं की अर्जी लगाई थी. उर्वशी कहती हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिलाओं से जुड़े इतने संवेदनशील मुद्दे पर सूचना देने में योगी सरकार ने संवेदनहीन रवैया अख्तियार करते हुए 1 साल से ज्यादा का समय ले लिया और 1 साल बाद उपनिदेशक प्रेमवती ने बीती 28 फरवरी को पत्र जारी करके आधी-अधूरी सूचनाएं देकर खानापूर्ति मात्र कर ली है। उर्वशी को बताया गया है कि यूपी में महिला हेल्पलाइन 181 को संचालित करने की जिम्मेदारी एकमात्र एजेंसी GVKEMRI, Devar Yamzal Medchal Road, secunderabad, Andhra Pradesh–500014 को दी गई है।
यूपी के सभी 75 जनपदों में वन स्टॉप सेंटर संचालित हैं लेकिन इन सेंटरों में से किसी के भी फ़ोन नंबर्स की सूचना नहीं दी गई है। भारत सरकार के निर्धारित मानकों के अनुसार सभी वन स्टॉप सेंटरों और महिला हेल्पलाइन 181 का एकीकरण इस प्रकार किया जाना था कि हेल्पलाइन से किसी भी वन स्टॉप सेंटर तक पंहुच संभव होने के साथ-साथ किसी भी मामले की जिले से लेकर केंद्र तक वेब आधारित प्रबंधन और निगरानी संभव हो सके, किन्तु योगी सरकार ने इस दिशा में कोई भी काम नहीं किया है। उर्वशी को दी गई सूचना के अनुसार यूपी में केंद्र सरकार द्वारा नवीनतम अनुशंषित वेब आधारित एमआईएस रायपुर मॉडल को शुरू करने पर विचार तक नहीं किया गया है और पुराने डैश-बोर्ड आधारित सखी मॉडल का ही प्रयोग किया जा रहा है।
यह विडम्बना है कि बजट में महिला कल्याण और टेक्नोलॉजी की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली योगी आदित्यनाथ की सरकार सूबे की आधी आबादी की समस्याएं सुलझाने के बनी महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटरों की कोई वेबसाइट तक नहीं बनबा पाई है। उर्वशी को दी गई सूचना के अनुसार योगी सरकार ने न तो केंद्र सरकार द्वारा नवीनतम अनुशंषित वेब आधारित एमआईएस रायपुर मॉडल को अब तक शुरू किया है और न ही वेब आधारित मॉडल को लागू करने की उसकी कोई योजना ही है। महिला सशक्तीकरण के मुद्दों पर लम्बे समय से काम कर रही यह जानकर अत्यंत स्तब्ध है कि 4 बार बजट पेश कर चुके योगी आदित्यनाथ महिला कल्याण के मुद्दों पर दर्जनों प्रेजेंटेशन देखने के बाद भी महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटरों के सञ्चालन की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर किसी निगरानी समिति का गठन तक नहीं करा पाए हैं महिलाओं के कल्याण से सम्बंधित इस अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामले को अपने जिलाधिकारियों और जिला प्रोबेशन अधिकारियों को सौंपकर अपना पल्ला झाड़ लिया है।
शीघ्र ही सूबे की राज्यपाल से मिलकर महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटरों का सार्वभौमिकरण (Universalization) करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा नवीनतम अनुशंषित किये गए वेब आधारित एमआईएस रायपुर मॉडल को सूबे में लागू कराने के लिए उनसे मदद की गुहार लगाएंगी।
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