हिफाजत जिसकी ता उम्र करती रही मैं
डॉ बीना सिंह दुर्ग, छत्तीसगढ़।
ओ यू हमारे दिल में समा गए होले होले.
जैसे अपनी राजधानी बना गया होले होले..
खुद से खुद हम बात ना कर पाए कभी.
जमाने को बगावत दिखा गया होले होले..
रस्मे उल्फत मानना एक आग का दरिया है.
चल कर हम पाव जला गए होले होले..
बेशक ख्वाबों में हम उनके रहते थे कभी.
कजरारे नैनो को निंदिय भा गए होले होले..
जिसकी हिफाजत ता उम्र करती रही बीना.
वही बेवफाई हम से निभा गए होले होले..
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