ऋतुराज बसंत
मधुर पराग सुगंध लिए आए ऋतुराज
डॉ बीना सिंह
छह ऋतु में ग्रीष्म वर्षा शरद हेमंत.
शीत की विदाई करने आया बसंत..
पतझड़ गुजरा पीत पीत हुए पात्त.
जैसे पिया मिलन को आतुर है गात..
प्रस्फुटित हुई कलियां रूपनिहारे कंत.
शीत की विदाई करने आया है बसंत..
आम्र मंजरी सरसों है खेतों मे बोराई.
कोयलिया मोर पपीहा ने ली अंगड़ाई..
मादक सुगंध से भर उठा है मकरंद.
शीत की विदाई करने आया है बसंत..
पुष्प का आलिंगन कर रहे हैं भ्रमर.
लताएं इतरा कर चूम रही है शिखर..
नैना विराम दृश्य लगे मनोहारी अनंत.
शीत की विदाई करने आया है बसंत..
मधुर पराग सुगंध लिए आए ऋतुराज.
हौले से घूंघट खोला कलियों ने आज..
देख निखार बावरे हुए ऋषि मुनि संत.
शीत की विदाई करने आया है बसंत..
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