भेड़हा नाचै तब फंदौ बहुत जरूरी
विनय विक्रम सिंह
जब भीड़ भये दानव जइसी, तब डंडौ बहुत जरूरी है।
जबु निकसे फुचरा कौनिउ तन, तबु रंदौ बहुत जरूरी है।१।
बिटियन की इज्जत का न्वाचैं, फिन न्याव-न्याव तखती बाँचै,
नौटंकी कर भेड़हा नाचै, तब फंदौ बहुत जरूरी है।२।
घुसपैठिन तें रिस्ता ज्वाड़ैं, अपुनै घरु पाथर ते फ्वाड़ैं,
कहना जय भारत माँ छ् वाड़ैं, तब नंगौ बहुत जरूरी है।३।
जबु तारी एक्कै हाथ बजे, श्रीराम कहे पर गटई कटे,
जबु अपयें देस मा भीत लगे, तबु पंगौ बहुत जरूरी है।४।
जबु भीड़ मा पाकी नारे हों, जबु पीठि मा घुपीं कटारें हों,
जबु मजहब की तलवारें हो, तबु दंगौ बहुत जरूरी है।५।
जबु जाति धरम ते ह्वै उप्पर, हिय ते हर मैल मिटावैं गर,
दिल ते दिल तबु मिलि जइहैं पर, मनु चंगौ बहुत जरूरी है।६।
जे ज्वाड़ै पुरिखन की थाती, धारै निज मस्तक यहु माटी,
उजियार करै जो बनि बाती, वह बंदौ बहुत जरूरी है।७।
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