बिना किसी लाग-लपेट के सीधे-सीधे स्वानुभूत जीवनचर्या है...तिनकों का दिल
दिल्ली | युवा लेखक प्रभंजन कुमार मिश्र की कृति "तिनकों का दिल" का भव्य विमोचन युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का दिल्ली संभाग द्वारा दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के गीतांजलि सभागार में आयोजित हुआ। तिनकों का दिल सामयिक परिदृश्यों को सहजता से उकेरते जीवन क्षणों की पठनीय दृश्यमाला है।
लेखक ने बिना किसी लाग-लपेट के सीधे-सीधे स्वानुभूत जीवनचर्या से कहानियों को उकेरा है, जीवन के दर्पण सी पठनीय सर्जना हेतु प्रभंजन मिश्र जी को अनन्त शुभकामनाएँ।
आयोजन की अध्यक्षता राम किशोर उपाध्याय ने की मुख्य अतिथि सुभाष चंद्र, मुख्य वक्ता प्रमोद दुबे, अति विशिष्ट अतिथि डॉक्टर अरुण पांडे, विशिष्ट अतिथि विजय प्रशांत, धर्मेंद्र प्रताप शुक्ला की प्रेरक उपस्थिति में पुस्तक का लोकार्पण हुआ, तदुपरान्त कई रचनाकारों को सम्मानित किया गया, तदनन्तर काव्य गोष्ठी का का सफल संचालन ओम प्रकाश शुक्ल द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया।
वरिष्ठ कवि विजय प्रशांत द्वारा हास्य की फुलझड़ियां बिखेरी गयीं, कवयित्री शारदा मादरा के मधुर कण्ठ से हियहारी भावपगी काव्य धारा प्रवाहित हुई, कवयित्री, कहानीकार मीरा शलभ द्वारा तत्व, दर्शन व आध्यात्म पर बेहद सारगर्भित दोहे पढ़े गए, कवि संजय गिरि द्वारा पठित मुक्तक व गीत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अवधी कवि विनय विक्रम सिंह द्वारा अवधी में पढ़ी गई "बड़कऊ" व्यंग्य रचना उपस्थित सुधीजनों के द्वारा बहुत सराही गई। भाव रसधार की विविधता से अलंकृत एक शोभन मधुरिम संध्या ने इस प्रकार संपूर्णता पायी।
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