मंथन ही ‘चिंतन’ कहलाता
अपने होने का सबब
तर्क के ,पत्रकारिता के ,बहस के
समीक्षा के सारे 'कोणों' से
माप कर देख लीजिये
इतिहास के ,व्यवहार के ,कला के
अभिनय के , दर्शन के सारे
'प्रिज्म' से देख लीजिये
व्यक्तिगत उपलब्धियों के ,
व्यक्तित्व के पहलुओं से
विश्वास और व्यक्तिगत 'न्यूनगंड'
सफलताओं के मापदंड पर तोलिये
प्रतिस्पर्धा को मानते नहीं
आत्मखोज,सहयोग को
साधने का हुनर जानते हैं
और निर्मम होकर ख़ारिज कीजिये
आपके ख़ारिज करने के बाद जो बचेगा
वो हमारा
जो आप ख़ारिज करोगे
वो हमारी चुनौती
और 'जो' बचेगा
वो हमारा साध्य
चुनौती भी हमारी
साध्य भी हमारा
आपका ख़ारिज भी हमारा
हमारा साध्य भी हमारा
क्योंकि हम संवादी है
संवाद में आपका
सहभाग भी हमारा
कार्यक्रम और दृष्टि के फर्क
को हम जानते है 'दोस्त'
हम सूचनाओं और ज्ञान के
फर्क को पहचानते हैं
सूचनाओं के इशारों , तथ्यों
को परखने , समझने ,अर्थ
सम्मत करने की दृष्टि रखते हैं
विचार सब करते हैं
पर हर कोई उसे 'दृष्टिगत' नहीं करता
घटनाओं , सूचनाओं का 'दृष्टिगत'
मंथन ही 'चिंतन' कहलाता है 'दोस्त'
हमारे 'संवाद' का उद्देश्य आपकी
चिंतन 'प्रक्रिया' को उत्प्रेरित करना है
हम गलत और सही के फेर में नहीं है
वो 'काल' तय करेगा , आने वाली पीढ़ियाँ
तय करेंगी ,
हम निर्माण की प्रकिया को
उत्प्रेरित करतें हैं
हाँ उससे 'भ्रम' टूटते हैं
'व्यक्ति' के 'भ्रम' जब टूटतें हैं
तब वो तिलमिलाते हैं
नकारात्मक उर्जा मानवीय विष
का निर्माण करती है
हम अपनी कला से
मानवीय 'विष' को
पीने का हुनर जानते हैं
हम कलाकार हैं 'दोस्त'
कल को आकार देना जानतें हैं !
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