दीप जलाओ...पवित्रता का  

पवित्रता का दीप जलाओ...

 

मंजुल भारद्वाज 


  इधर उधर की नहीं, अब सीधे लक्ष्य की बात करो 


कारवां कैसे लुटा, सत्ताधीश से सवाल करो 


संविधान सम्मत मालिक हो, इस अधिकार का 


अपने अंदर अहसास जगाओ, तुम्हीं विकल्प हो 


तुम्हीं संकल्प का विश्वास करो, 


जर्जर,सड़े,दुर्गन्ध भरे, 


सत्ता के गलियारों को,


साफ़ और स्वच्छ करो, 


सत्ताधीशों के काले करतूतों से, 


कलंकित राजनीति के दामन को 


अब पावन और पवित्र करो, 


राजनीति पवित्र है 


राजनीति कल्याणकारी है,


राजनीति के नाम दीया जलाओ


चारों ओर खुशहाली, अमन और शांति का 


प्रकाश फैलाओ, दीपोत्सव मनाओ ...|



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