कुछ दिल से करने से सुकून मिलता है.. -सखियाँ

आज समाज में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मुश्किलें अपने आप ही ख़त्म हो जाती है. यह कहना है सखियाँ का.... राजेश अग्रवाल 

 


लगभग तीन वर्ष पूर्व पाँच सहेलियों रेनु अग्रवाल, सुधा मेहरोत्रा, अपर्णा अग्रवाल, प्रीति मीरचन्दानी एवं नीता शर्मा ने अपनी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद अपने जीवन  में समाज के लिए  कुछ करने का  विचार किया और सखियाँ नाम का एक समूह बनाया|

इन्होने  आर्थिक रूप से  निर्बल  महिलाओं को एकत्र किया| जो ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी और अपने खाली समय का सदुपयोग कर अपना जीवन स्तर उठाना चाहती थी | 


सखियाँ  समूह बहुत ही स्वच्छ शुद्ध तरीके से मठरी खस्ता समोसा भांति भांति के नमकीन अचार बडिया मसाले आदि बनवाने शुरू करवाए  जिससे उनमें स्वावलंबन की भावना आई|

शुरूआत में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा|  इस समूह में सब घरेलू महिलायें है जो घर से बाहर निकल कर काम करना और सामान की बिक्री के लिए भाग दौड़ करना, संसाधनों की वयवस्धा करना यह सब बहुत कठिन था पर इन्होंने  हार नहीं मानी। मन में एक विश्वास था  जो धीरे धीरे लोगों ने इनकी काम के द्वारा बने पकवान के स्वाद को काफी सराहा|  इनमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इनके पकवान घर जैसी स्वच्छता और हल्कापन होता है| यहॉ मसाले पूणतः शुद्ध बने होते हैं । .


अधिकतर कामकाजी महिलाएं जिन्हें ये सब बनाने का समय नहीं मिल पाता उन्हीं महिलाएं को घर जैसा सामान मिला और उनसे इस समूह को बहुत प्रोत्साहन मिला|

इन उत्पादों की बिक्री में धन से जहाँ हम एक तरफ महिलाओं को रोजगार देते हैं वही दूसरी तरफ एकत्रित धनराशि से डंडहिया स्थित एक प्राथमिक विद्यालय के जीर्णोद्धार के लिए अनेकों  काम किये जैसे वहां फर्श बनवाया|  पेंट  करवाया| एक डेंटल कैंप लगवाया| बच्चों को स्वच्छता के लिए प्रेरित किया और निकट भविष्य में भी यह समूह इसी तरह के कामों के लिए आज हमेशा तत्पर हैं| किसी भी महिला के लिए समाज से सम्मान पाना महत्वपूर्ण होता है पर उससे भी ज्यादा अपने परिवार और मित्रों मे सम्मान की दृष्टि से देखा जाना गर्व का अनुभव देता है जो सिर्फ महसूस किया जा सकता जिससे बहुत सुकून मिलता है | 

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