'नजर'...अपनी अपनी ... 

मौत खुशी में झूमेगी....?


डॉ.नारायण प्रकाश


क्या होगा जब भूख धरा पर रो-रोकर भूखी घूमेगी!


प्यासी धरती फट जाएगी,प्यास समाधिया चूमेगी!!


पेट मिलेंगे भूखे-भूखे तन जर्जर से सभी दिखेंगे!


ख़ास कमी पानी की होगी स्वाद लहू का सभी चखेंगे!!


जीवन बनेगा सांप और तब मौत खुशी में झूमेगी!


प्यासी धरती फट जाएगी प्यास समाधिया चूमेगी!!


ऐसे भी हालात बनेंगे यौवन प्राय:अरक्षित होगा!


नंगी-भूखी बारात सजेगी,वर भी बेबस,बेछत होगा!


इस जनसंख्या के बोझ तले,हर जीवन-नैया डूबीगी!


प्यासी धरती फट जाएगी प्यास समाधिया चूमेगी!!


और कहीं मन को बहलाओ,चुनो ना तुमअधपके खिलौने!


एक ही सतति काफी समझो आगत सपने सजे सलोने!


रही ना काबू आबादी तो हर सास मौत यह लूटेगी!


प्यासी धरती फट जाएगी प्यास समाधिया चूमेगी!!



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