कुख्यात व्यापार के रूप में स्थान बना... ‘मानव तस्करी’
मानव जाति के सबसे बड़े विनाशक पहला 'ड्रग्स' तथा दूसरा 'हथियार' के कुख्यात दो व्यापारों के बाद 'मानव तस्करी' ने अपना तीसरे कुख्यात व्यापार के रूप में स्थान बना लिया है!...
प्रदीप कुमार सिंह
मानव तस्करी के विरूद्ध जागरूकता और पीड़ित व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के अनुसार प्रतिवर्ष विश्व भर में 30 जुलाई को मानव तस्करी के विरूद्ध विश्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य पीड़ितों की समस्याओं व संभावित समाधानों पर रोशनी डालना है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार विश्व भर में लगभग 21 मिलियन लोग बंधुआ मजदूरी के शिकार हैं। इस अनुमान में श्रम व यौन शोषण के लिए तस्करी किये गए लोग भी शामिल हैं। मानव तस्करी से सभी देश किसी न किसी तरह जुड़े हुए हैं। यू.एन. कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार मानव तस्करी के लगभग एक तिहाई शिकार बच्चे ही हैं, जबकि 71 प्रतिशत मानव तस्करी की शिकार महिलाएँ व लड़कियाँ हैं। मानव जाति के विनाशक पहला 'ड्रग्स' तथा दूसरा 'हथियार' के दुनिया के सबसे बडे़ कुख्यात दो व्यापारों के बाद 'मानव तस्करी' के कुख्यात व्यापार के रूप में तीसरा स्थान बना लिया है!
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संयुक्त राष्ट्र के वर्तमान महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेश से हम सभी विश्ववासियों की ओर से अपील करते है कि वह अन्तर्राष्ट्रीय समस्या का कुख्यात रूप धारण कर चुकी मानव तस्करी के खिलाफ समाधानपरक निर्णय की घोषणा विश्व के सभी देशों की ओर से करें।
मानव तस्करी पर यूएनओडीसी की द्विवार्षिक ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक इस अपराध को अंजाम देने के लिए 152 देशों से लोगों की तस्करी की जाती है जबकि 124 देशों में उन्हें पहुंचाया जाता है। एक अनुमान के अनुसार 21 लाख लोग आज भी दास प्रथा से पीड़ित हैं। संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या उससे दोषपूर्ण तरीके से काम लेना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं।
मानव तस्करी के कुछ कारण इस प्रकार हैं - गरीबी और अशिक्षा (सबसे बड़ा कारण), मांग और आपूर्ति का सिद्धांत, बंधुआ मजदूरी, देह व्यापार, सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन, बेहतर जीवन की लालसा, सामाजिक सुरक्षा की चिंता, महानगरों में घरेलू कामों के लिये भी होती है लड़कियों की तस्करी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिये भी होती है बच्चों की तस्करी आदि हैं। भारत का गृह मंत्रालय मानव तस्करी की रोकथाम के लिये यूएन आफिस आफ ड्रग्स एंड क्राइम के साथ सहयोग कर रहा है। यूएनओडीसी दक्षिण एशिया प्रभाग कानून प्रवर्तन और पुनर्वास के परिप्रेक्ष्य से एक विशेष 'ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स प्लेटफार्म' शुरू करने की प्रक्रिया में है। वैटिकन सिटी, (30 जुलाई 2018) मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस पर संत पापा फ्राँसिस ने मानव तस्करी के शिकार लोगों की पुकार सुनने और उनकी मदद के लिए आगे आने का आह्वान किया। संदेश में उन्होंने लिखा, “आइये, हम मानव तस्करी और शोषण में फंसे हमारे भाइयों और बहनों का रूदन सुने।
वे व्यापार की वस्तुएँ नहीं हैं। वे इंसान हैं और उनके साथ इन्सान की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए।” संत पापा फ्राँसिस ने 29 जुलाई 2018 को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ करने के बाद सभी पुरूषों और महिलाओं को अन्याय की निंदा करने और मानव तस्करी के 'शर्मनाक अपराध' के खिलाफ दृढ़ता से खड़े होने की अपील की।
बच्चों के अधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन यूएन इण्टरनेशनल चिल्ड्रेन्स इमरजेंसी फण्ड (यूनीसेफ) की ग्लोबल गुडविल एंबेसडर तथा भारतीय अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को यूनीसेफ की ओर से 3 दिसंबर 2019 को न्यूयार्क में आयोजित होने वाले यूनीसेफ स्नोफ्लेक बाल समारोह में डैनी केये ह्यूमनटेरियन (मानवीय) अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। प्रियंका ने कहा कि दुनिया के सारे बच्चों की तरफ से यूनीसेफ के साथ मेरा काम मेरे लिए सब कुछ है। उनके लिए शांति, आजादी और शिक्षा का अधिकार। प्रियंका साल 2006 से यूनीसेफ से जुड़ी हैं। साल 2010 और 2016 में क्रमशः उन्हें बाल अधिकार के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक यूनीसेफ गुडविल एंबेसडर नियुक्त किया गया था। वह विभिन्न मुद्दों जैसे कि पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ लैंगिक समानता और नारीवाद के बारे में भी हमेशा बात करती हैं।
सत्यमेव जयते (टीवी श्रंृखला) नामक कार्यक्रम नेशनल दूरदर्शन के साथ-साथ स्टार नेटवर्क के विभिन्न चैनलों पर प्रसारित किये जाने वाला एक भारतीय दूरदर्शन कार्यक्रम है। कार्यक्रम का पहला प्रसारण 6 मई 2012 को फिल्म जगत के लोकप्रिय अभिनेता और निर्माता आमिर खान के द्वारा प्रसारित किया गया था। इस् कार्यक्रम ने भारत में प्रचलित सामाजिक कुरूतियों एवं समस्याओं जैसे महिलाओ के साथ दुराचार, बाल यौन शोषण, दहेज, चिकित्सा अनाचार, आनर किलिंग, शराब, अस्पृश्यता, विकलांग, घरेलू हिंसा आदि मे प्रकाश डाला जाता है।
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सत्यमेव जयते केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि लोगों के विचारांे को बदलने के लिए एक आंदोलन है। मानव तस्करी से अनेक बच्चों का जीवन बचाने के लिए मानव जाति मदर टेरेसा की सदैव ऋणी रहेगी। 7 अक्टूबर 1950 को उन्हें वैटिकन से 'मिशनरीज आॅफ चैरिटी' की स्थापना की अनुमति मिल गयी। इस संस्था का उद्देश्य भूखों, निर्वस्त्र, बेघर, लंगड़े-लूले, अंधों, चर्म रोग से ग्रसित और ऐसे लोगों की सहायता करना था जिनके लिए समाज में कोई जगह नहीं थी। मदर टेरेसा को मानवता की सेवा के लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए। भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' (1980) से अलंकृत किया। मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला।
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का 'जस्टिस एंड केयर' के समारोह में सम्बोधन कहा कि हम आज सूचना क्रांति के उस दौर में हैं, जहां सामाजिक बुराइयों पर खुलकर बातें होने लगी हैं। लोग आपस में सलाह-मशविरा कर रहे हैं, चर्चा कर रहे हैं और इससे समाधान भी निकल रहे हैं। लेकिन, कुछ सामाजिक बुराइयों पर अभी समाज में चर्चा कम होती है। इन्हीं में से एक है- मानव तस्करी। यह हमारे देश के लिए ही नहीं, दुनिया भर के लिए एक अभिशाप है। मुझे बताया गया है कि पिछले तीन वर्षों में मानव तस्करी के मामलों में 39 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है और दुनिया भर में 4 करोड़ से अधिक लोग इस अपराध से प्रभावित हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी एक ऐसी हस्ती, जिन्होंने 88,000 बंधुआ और तस्करी कर लाए गए बच्चों को छुड़ाया। वह अपने इन शब्दों पर अमल करते हैं कि हरेक का बचपन महत्व रखता है।
श्री सत्यार्थी ने बालश्रम और बंधुआ मजदूरी उन्मूलन के लिए अपने संघर्षपूर्ण अभियान की शुरूआत 1980 में 'बचपन बचाओ आंदोलन' के गठन के साथ की थी। 6 जून, 1998 को जेनेवा में जब अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के आयोजन में 150 देशों के प्रतिनिधि जुटे थे, श्री सत्यार्थी ने 600 बच्चों और कुछ वैश्विक बाल अधिकार कार्यकर्ताओं के ग्लोबल मार्च का नेतृत्व किया था। उस ग्लोबल मार्च में मुझे भी भाग लेने का सुअवसर मिला था। पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को 2014 का नोबेल शांति पुरस्कार भारत के श्री कैलास सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है।
मलाला को पाकिस्तान में महिलाओं के लिए शिक्षा को अनिवार्य बनाए जाने की मांग के बाद 9 अक्टूबर 2012 को तालिबान की गोली का शिकार होना पड़ा था। लेकिन इस बहादुरी बेटी ने मौत को मात देकर अपना पूरा जीवन सम्पूर्ण मानवता के लिए अर्पित कर रखा है। उन्होंने नेशनल प्रेस के सामने वो मशहूर भाषण दिया जिसका शीर्षक था- हाउ डेयर द तालिबान टेक अवे माय बेसिक राइट टू एजुकेशन? तब वो केवल 11 साल की थीं। लड़कियों की शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली साहसी मलाला यूसुफजई की बहादुरी के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा मलाला के 16वें जन्मदिन पर 12 जुलाई को मलाला दिवस घोषित किया गया। मेनका गांधी ने मानव तस्करी के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए एक प्रतियोगिता वर्ष 2018 में शुरू की थी। इस प्रतियोगिता के तहत अगर आप किसी अनूठे स्थान पर चाइल्डलाइन 1098 के लोगांे की तस्वीर को टैग लाइन के साथ मंत्रालय को भेजते हैं तो आप नकद पुरस्कार जीत सकते हैं। यह प्रतियोगिता 30 जुलाई को मानव तस्करी खिलाफ विश्व दिवस मनाने के लिए आयोजित की गयी थी।
चाइल्ड लाइन 1098 मुसीबत में फंसे बच्चों के लिए आपात राष्ट्रव्यापी हेल्पलाइन है। यह समूचे देश में 76 प्रमुख रेलवे स्टेशनों सहित 450 स्थानों पर संचालित हो रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक वेबसाइट बनाई है। परस्पर संवाद स्थापित करने वाली यह वेबसाइट प्रत्येक राज्य में लापता बच्चों के संबंध में जानकारी देती है।
इस वेबसाइट द्वारा लापता बच्चों की संख्या, उनके गायब होने का समय तथा संबंधित पुलिस स्टेशन के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। वर्तमान में इस महत्वपूर्ण विभाग की मंत्री स्मृति ईरानी तथा राज्यमंत्री देवाश्री चैधरी है। 28 फरवरी 2018 को केंद्रीय कैबिनेट ने मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018 को मंजूरी दी थी। अगले ही महीने देश के कई हिस्सों से दिल्ली आए मानव तस्करी के पीड़ितों ने तमाम सांसदों से मिलकर दरख्वास्त की कि संसद के तत्कालीन सत्र में इस विधेयक को कानून का दर्जा दे दिया जाए। आयोजन में मौजूद शत्रुघ्न सिन्हा का कहना था, 'दुख की बात है कि अब भी ऐसे हालात मौजूद हैं। नए बिल में इंटर-स्टेट इनवेस्टिगेशन और नेशनल एंटी-ट्रैफिकिंग ब्यूरो का प्रावधान है, जो इन समस्याओं को सुलझाएगा। मानव तस्करी पीड़ितों की समस्या सुनते पूर्व सांसद शत्रुघन सिन्हा, सांसद कोथापल्ली गीता और प्रयास के स्वयं सेवी संस्था के संयोजक आमोद कुमार कंठ।
चेन्नई, सात दिसंबर 2019 (भाषा) अभिनेता तथा नेता कमल हासन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मानव तस्करी रोधी विधेयक पर संसद के शीतकालीन सत्र में चर्चा सुनिश्चित करने की अपील की। मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) प्रमुख ने कहा कि मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण एवं पुनर्वास) विधेयक 2018 इस साल जुलाई में लोकसभा में पारित किया गया था और राज्य सभा में उसपर चर्चा बाकी है। मानव तस्करी के चंगुल से निकलने वाले कुछ लोगों के समूह से अपनी हालिया बातचीत का हवाला देते हुए हासन ने कहा कि पीड़ितो ने “छल, शारीरिक क्रूरता और मानसिक जख्म की कहानियां सुनाईं जिसके साथ उन्हें ताउम्र जीना पड़ेगा।” उन्होंने अफसोस जताया कि भारत इस अमानवीय गतिविधि (तस्करी) के लिए उत्पत्ति, पारगमन एवं गंतव्य का विश्व का एक बड़ा केन्द्र है। श्री हासन ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि सरकार संसद के आगामी सत्र में चर्चा के लिए इस विधेयक को पेश करेगी और सभी पार्टियां प्रस्तावित कानून का समर्थन करेंगी। वर्तमान में केन्द्र के सरकारी खजाने से पैसा गांव के प्रधान तथा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर योजना के अन्तर्गत 439 योजनाओं के माध्यम से पात्र व्यक्ति तक आ रहा है।
भारत सरकार को बस एक धक्का लगाकर राष्ट्रीय आय की कुछ धनराशि सीधे प्रत्येक वोटर के खाते तक पहुंचाना है। वोटरशिप स्कीम के जन्मदाता श्री भरत गांधी का कहना है कि अति आधुनिक मशीनीकरण तथा कम्प्यूटर के युग में प्रत्येेक बेरोजगार को नौकरी देना सम्भव नहीं है। बेरोजगार युवा परिवार के लिए एक बोझ की आत्मग्लानि में जीता है। उदाहरण के लिए एक पिता की चार संतानों में भैस का दूध तो बांटा जा सकता है लेकिन भैस नहीं बांटी जा सकती। इसी प्रकार धरती माता की प्रत्येक संतान में पैसा तो बांटा जा सकता है लेकिन बराबर से जमीन नहीं बांटी जा सकती।
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत को गरीब और अमीर प्रत्येक वोटर के लिए भावी वोटरशिप योजना को जल्द से जल्द लागू करके विश्व के समक्ष मिसाल प्रस्तुत करना चाहिए। धरती को ड्रग्स, हथियार तथा मानव तस्करी जैसे कुख्यात विश्वव्यापी व्यापारों से मुक्ति का मार्ग भावी वोटरशिप योजना से अवश्य प्रशस्त होगा। सारा विश्व भारत में लोकतंत्र के विकास तथा सफलता की उच्चतम अवस्था का अनुकरण करने के लिए भावी वोटरशिप योजना को अपने-अपने देश में लागू करेगा। इस प्रकार मानव जीवन की शारीरिक, मानसिक, यहाँ तक कि सामाजिक, राजनैतिक, वैश्विक समस्याओं के लिए समाधान के नए द्वार खुलेंगे। भारतीय संस्कृति के आदर्श वसुधैव कुटुम्बकम् की परिकल्पना साकार होगी।
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