डर किसी का नहीं....

सुरेंद्र सैनी..


बन गए पूरे दुराचारी 


आधुनिक सरकारी कर्मचारी 


काम करने की नीयत नहीं 


कहे सरकारी नौकरी हमारी 


जनता खड़ी परेशान होती


उन्हें बात समझ नहीं आ रही 


दो मिनट के काम में 


वो आधा घंटा लगा रही 


मैनेजर को काम का पता नहीं 


जैसे बैंक से उसका वास्ता नहीं 


ऊपर से ग्राहकों को धमकाता 


जाने कैसी खुमारी उस पर छा रही 


 


कौन भर्ती करें है इनको 


चरमरा गई अर्थव्यवस्था हमारी 


खाता खुलवा कर पछता रहे 


क्यों मति मारी गई हमारी 


 


कोई कहने सुनने वाला नहीं 


इनको किसी का डर नहीं 


कब तक आखिर सहेगा उड़ता 


इतना तो मुझ में सब्र नहीं 



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