विचारों में चुंबकीय ताकत होती है -डॉ. जगदीश गाँधी

 


हमें अपने जीवन की राह स्वयं बनानी पड़ती है :- 


                विचारों में चुंबकीय ताकत होती है और किसी भी व्यक्ति को सबसे ज्यादा उसके अपने विचार प्रभावित करते हैं। अगर आप दिल से मान बैठे हैं कि आप हार चुके हैं, तो दुनिया की कोई ताकत आपको जिता नहीं सकती, लेकिन अगर दिल कहता है कि आप विजेता बन सकते हैं, तो आप जीत की राह तलाश ही लेंगे। समस्या यह है कि हम खुद की बात ही नहीं सुनना चाहते और जिस दिन हमने अपनी सुननी शुरू कर दी, उस दिन से हमें सफलता की राह पर बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। हममें बस अपना रचनात्मक आलोचक बनने का साहस होना चाहिए। जिस बात से डर लगता हो, उस क्षेत्र में अपना ज्ञान बढ़ाना आरंभ कर दें डर स्वंय भाग जायेगा। डर सदैव अज्ञानता से उपजता है। हमें महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा तो लेनी चाहिए लेकिन अपनी क्षमता, समय तथा परिस्थितियों के अनुसार अपना मार्ग स्वयं चुनना तथा उस मार्ग पर अपने कदम बढ़ाने पड़ते हैं।


करत करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान :-


                ऑपेरा स्टार रिसे स्टीवन्स ने बताया कि शुरूआती दिनों में उन्हें पराजय ही पराजय हासिल हो रही थी। तब उसके दिमाग में केवल एक बात आती कि वह इसलिए विफल हो रही है कि उसकी आवाज के सच्चे कद्रदान नहीं हैं। एक दिन उसे एक आत्म-सुझाव मिला कि जितना वक्त वह इस तरह सोचने में व्यतीत करती है, उतना अपने अभ्यास को और दे तब? तब वही हुआ, जो होना था। वह कामयाब हुई। उनके कद्रदान दिन-ब-दिन बढ़ते चले गए। स्टीवन्स कहती हैं कि कामयाबी का सबसे बड़ा रास्ता तब खुलता है, जब आप अपनी कमियों के साथ सहज होते हैं, उसे स्वीकार करते हैं। किसी कार्य में पूरे मनोयोग से निरन्तर अभ्यास सफलता की कुंजी है। 


परीक्षा की घड़ी में इंसान की पहचान होती है :-


                इम्तिहानों से ना हरगिज मुँह चुराना चाहिए, बल्कि ऐसे में खुद को आजमाना चाहिए, बांसुरी की जिदंगी से सीखें, लाख शरीर में हो जख्म मगर गुनगुनाना चाहिए। किसी ने सही ही कहा है कि मीठे बोल बोलिये, क्योंकि अल्फाजों में जान होती है, इन्हीं से आरती, अरदास, प्रेयर और इन्हीं से अजान होती है यह संमुदर के वह मोती हैं जिनसे इंसानों की पहचान होती हैं। जिन्दगी हंसाये तब समझना की अच्छे कर्मों का फल मिल रहा है, और जब जिन्दगी रूलाये तब समझ लेना कि अब अच्छे कर्म करने का समय आ गया है।


न्याय, एकता तथा संवेदना जीवन के आभूषण हैं :-


                एक सुन्दर प्रार्थना है - हे प्रभो! इन बालकों को शिक्षित कर, ये तेरे फूलों की बगिया के पौधे हैं, तेरे उपवन के फूल हैं, तेरी वाटिका के गुलाब हैं। अपनी वर्षा की फुहारें इन पर पड़ने दे। न्याय, एकता तथा संवेदना के आभूषणों को इन पर जगमगाने दे। अपने निकटता की इनमें ताजगी भरने दे जिससे कि ये जीवन में पूर्णतया प्रशिक्षित हो सकें एवं चरम विकास कर सकें। तू दातार है, तू करूणामय है। इस प्रकार हम यह अनुभव करते हैं कि न्याय, एकता तथा संवेदना जीवन के आभूषण हैं।


ऐसा वर दे कि तेरे स्मरण और गुणगान से हम सभी धन्य हो सके :-


                हे प्रभो! हमको तेजस्वी बना और हम सभी प्राणियों को अपनी उदारता का दान दे। हमें ज्ञान प्रदान कर, हर दिन हमें अतिरिक्त शक्ति से सम्पन्न बना और अपने संरक्षण के आश्रय में हमें सुरक्षा दे ताकि हम दोषों से मुक्त हो सके तथा स्वंय को तेरी शिक्षाओं की सेवा में समर्पित कर सके, पथभ्रष्टों को राह दिखा सके और दुःखी व्यक्ति को प्रसन्नता की राह पर ले चले, बन्धनों में जकड़े हुओं को छुटकारा दिला सके और असावधानों को जगा सके। ऐसा वर दे कि तेरे स्मरण और गुणगान से हम सभी धन्य हो सके। तू सामर्थ्यवान और शक्तिशाली है। जाग उठा मैं तेरी शरण में हे मेरे परमेश्वर! हे मेरे ईश्वर!


असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करोः-


                जीवन में अगर सफलता मिलती है तो असफलता भी मिलती है। लेकिन जीवन में मिलने वाली हर असफलता के बाद हम स्वयं से पूछें कि इस घटना से मैंने क्या सीखा? तभी हम अपने रास्ते की रूकावटों को सफलता की सीढ़ियों में बदल पाएँगे। हममें से प्रत्येक के भीतर कई गुण हैं और जो गुण नहीं हैं उनका भी विकास किया जा सकता है। आवश्यकता है केवल अपने गुणों को पहचानने की। जब हमें अपने गुणों का एहसास होता है तो हमारी शक्ति निश्चित रूप से बढ़ जाती है। इसलिए असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो। क्या कमी रह गई, देखों और सुधार करो। क्योंकि लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।



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